Newसभी पाठकों एवं रचनाकारों से विनम्र निवेदन है कि बागी बानी यूट्यूब चैनल को सब्सक्राइब करते हुए
उनके बेबाक एवं शानदार गानों को अवश्य सुनें - आपको पसंद आएं तो लाइक,शेयर एवं कमेंट करें Channel Link यहाँ है

Show your love with any amount — Keep Likhantu.com free, ad-free, and community-driven.

Show your love with any amount — Keep Likhantu.com free, ad-free, and community-driven.



The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

Newसभी पाठकों एवं रचनाकारों से विनम्र निवेदन है कि बागी बानी यूट्यूब चैनल को सब्सक्राइब करते हुए
उनके बेबाक एवं शानदार गानों को अवश्य सुनें - आपको पसंद आएं तो लाइक,शेयर एवं कमेंट करें Channel Link यहाँ है

The Flower of Word by Vedvyas MishraThe Flower of Word by Vedvyas Mishra
Show your love with any amount — Keep Likhantu.com free, ad-free, and community-driven.

Show your love with any amount — Keep Likhantu.com free, ad-free, and community-driven.

Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

नारी जब चलती है।

Nari jab chalti Hai.

नारी जब चलती है
Lalit Dadhich

नारी जब चलती है,
वो आकाश से उतरी है,
उषा के मृदु भावों में,
तेज आलोक की छांव में,
पेड़ के नीचे नरम होकर,
प्रसूनों के परागों में खुशबू बनकर,
भंवरे का धैर्य बनकर,
घासों की ओस में,
सरिता के किनारे, बूंदों की गोद में,
बरसती है मेघों की कोंपलों से।

नारी जब चलती है,
वो हृदय में उतरी है,
प्रेम के सौम्य समन्वयशाली रोम रोम से,
अनगिनत श्रृंखलाओं की कड़ियों से,
छोटे-छोटे उथले-पुथले ग्रहण चंद्रमा की चांदनी,
जिस पर काले रंग का रेशेदार कपड़ा ओढ़ा है,
तारे चमके और तेजतर्रार चेहरा चमक से,
नृत्य के आलिंगन से,
कंठ का रूप है,
हाथों की हिना से, हवा का रुख बदला है।

नारी जब चलती है,
वो ज्ञान में उतरी है,
कंठ धारणी, सुर धारिणी , श्वेत कमला,
वीणा के सात सुरों से,
बुद्धि का परिष्कृत संयोजन,
वैभव कला संपन्न श्रृंगार सरोवर,
पायल के उठते गिरते सुरों से,
एक नया संगीत,
मन के द्वारों पर एकटक निहार,
थोड़ा लाज के कारण,
नजरों में काजलिया,
श्याम के नेत्रों तक पहुंच रही है।

नारी जब चलती है,
राधा की आंतरिक वेदना में उतरी है,
मीरा का वियोग और गंगा यमुना सरस्वती की धारा से अपना वैराग्य मोह,
किसी अज्ञात ब्रह्म तक पहुंचा रही।

नारी चेहरा ना हो कर,
उसकी अमुक भाव संपन्नता,
अंतर्द्वंदों के प्रफुल्लित रसों की पराकाष्ठा है,
एक एक कोशिका का मिलना जुड़ना सृजित होना नष्ट होना
नारी की धैर्य परिभाषा है।

नारी धीरे से कहती है,
पर सही कहती है,

नारी धीरे से चलती है,
पर लक्ष्य तक चलती है,

नारी धीरे से हंसती है,
पर हृदय तक हंसती है,

नारी धीरे से समझती है,
पर अनादि काल सब समझती है,

नारी एक भाव में अनेक सूक्ष्म भाव की जटिल संरचना है,
नारी का विद्रोह विरोधी ना होकर प्रेम के अधीन है,

नारी का विवेक एक स्थायी पटल है,
जिस पर ये संसार अपने पैर रख सकता है,

नारी समझी नहीं जा सकती,
नारी तक उतरना होगा,
नारी तक पहुंचना होगा,
नारी में समाना होगा,
नारी तक जाना होगा,
नारी पर शब्दभेदी बाण कम चलते हैं,
भाव भेदी बाण बनाना होगा।

नारी जब चलती है,
एक युग की कहानी बदलती है,
नारी पूजा तुम्हारी,
नारी के इर्द-गिर्द है दुनिया सारी,
केंद्रीय भूमिका तुम्हारी,
मनोवृति बदलनी होगी हमारी,
नारी सब पर भारी,
नारी जब चलती है,
नारी जब चलती है।
तब दुनिया बदलती है।।
- ललित दाधीच




समीक्षा छोड़ने के लिए कृपया पहले रजिस्टर या लॉगिन करें

रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (0)

+

कविताएं - शायरी - ग़ज़ल श्रेणी में अन्य रचनाऐं




लिखन्तु डॉट कॉम देगा आपको और आपकी रचनाओं को एक नया मुकाम - आप कविता, ग़ज़ल, शायरी, श्लोक, संस्कृत गीत, वास्तविक कहानियां, काल्पनिक कहानियां, कॉमिक्स, हाइकू कविता इत्यादि को हिंदी, संस्कृत, बांग्ला, उर्दू, इंग्लिश, सिंधी या अन्य किसी भाषा में भी likhantuofficial@gmail.com पर भेज सकते हैं।


लिखते रहिये, पढ़ते रहिये - लिखन्तु डॉट कॉम


© 2017 - 2025 लिखन्तु डॉट कॉम
Designed, Developed, Maintained & Powered By HTTPS://LETSWRITE.IN
Verified by:
Verified by Scam Adviser
   
Support Our Investors ABOUT US Feedback & Business रचना भेजें रजिस्टर लॉगिन