नजर आए चाँद तरकीब सजा दे।
दर्द-ए-दिल की फ़रियाद सजा दे।।
लबों पर गुलाबी रंगत फूल जैसी।
हल्की मुस्कुरा कर जुगनू सजा दे।।
मोहब्बत पर उनकी हमे नाज़ बेहद।
इस बार मिल कर फिर ना रजा दे।।
बहुत राह तकली जहर हुआ जीवन।
झूठे ही सही जरा देखकर फिजा दे।।
अब की सोये फिर ना उठेंगे 'उपदेश'।
अब और ना खुदा मुझ को सजा दे।।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद