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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

ऋतुओं के रंग जैसे रंग जाओ

ऋतुओं के रंग जैसे रंग जाओ
बसंत ऋतु की हवाएँ चलने लगीं
पेड़ भी मस्ती में अपनी ज़ुल्फ़ें लहराने लगे
पीले फूल हर जगह मुस्कुराते नज़र आए
पक्षी भी चहचहाते हुए मौसम का लुफ़्त उठाते हैं
हवाओं की भी आजकल फज़ाएँ रंगीन हैं
आसमाँ को पीतांबर पहनाए सवेरा रोज़ आता है
सौंधी सौंधी ठंडक मन को लुभाती है
हर ऋतु नए रंग लेकर आती है
हम सब को एक ही सीख देती है
ऋतुओं के रंगों की तरह जीवन के हर रंग को अपना लेना
सुख का दुख के बिना और ख़ुशी का ग़म के बिना कोई वज़ूद नहीं है
ज़िन्दगी जैसी भी मिले उसे अपनाकर जीने से ही आसान है नहीं तो सजा है ..
वन्दना सूद




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (5)

+

Arpita pandey said

बहुत ही सुन्दर

वन्दना सूद replied

Thankyou ma’am😊

डॉ कृतिका सिंह said

जीवन तो सुख दुख का संगम है 😂😭 आपने बहुत अच्छे से समझाया 👏

वन्दना सूद replied

Actually mein prakriti se achcha guru koi nahi hai hamara aisa mujhe lagta hai

Vineet Garg said

Kabhi kuchh aapke favor mein hoga 😀😀 kabhi kuchh aapke against hoga😔😔 Magar dariyega nahin jo hoga uski marji se hoga

वन्दना सूद replied

Bilkul sahi kaha aapne 😊

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

बहुत बढ़िया Mam bahut sundar likha

वन्दना सूद replied

Thankyou bhai ji 😊

Lekhram Yadav said

खुशी और गम जिन्दगी के सफर के साथी हैं मगर प्रकृति के सामने खुशी और गम केवल का कोई महत्व नहीं वो सिर्फ अपने नियम से चलती है। बहुत सुन्दर लिखती हैं आप।

वन्दना सूद replied

आप पसन्द करते हैं इसलिए अच्छा लिख पाते हैं 😊शुक्रिया sir🙏🙏

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