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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

नफ़रतें पाले हुए हैं सभी यहाॅं

नफ़रतें पाले हुए हैं सभी यहाॅं दिलों में,
मगर उल्फ़तें नहीं पालता कोई।
यहाॅं दास्तां सुनाते हैं सभी मोहब्बत की,
लेकिन मोहब्बत नहीं करता किसी से कोई।

मैं कोशिशें करती हूॅं नफ़रतें ख़ाक हो जाए ,
उल्फ़तें आबाद हो जाए।
मगर यहाॅं कदम-कदम पर
सिर्फ़ यही चाहत रखने वाले मिले मुझे , कि मोहब्बत गुमनाम हो जाए।

मैंने उल्फ़तों के बीज बोए,
उन्होंने नफ़रतों के पौधे लगाए।
उल्फ़त के बीज मेरे पौधे बन गए,
लेकिन उनके नफ़रत के पौधे एक दिन खुद
नफ़रत से जल गए।

कोशिश मेरी रंग लाई,
सभी दिलों में मोहब्बतें खिल आई।
नफ़रतें मिट गई,
और यहाॅं उल्फ़तों की बौछारे छाई।
💐 रीना कुमारी प्रजापत 💐




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (3)

+

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

Suprabhat Reena Mam🙏🙏 bahut sundar prastuti kya hi kahne..

रीना कुमारी प्रजापत replied

सुप्रभात🙏 प्रणाम, बहुत बहुत धन्यवाद आपका

Komal Raju said

Well said mam..bahut sundar.

रीना कुमारी प्रजापत replied

Thanku so much

Lekhram Yadav said

सलाम मेरी प्यारी बहना। आपकी ये कविता रंग लाई तभी उल्फत की बौछार आई हम को भी बहुत पसंद आई इसलिए तो भेज रहे हैं बधाई आपको हमारा सादर प्रणाम।

रीना कुमारी प्रजापत replied

प्रणाम 🙏 बहुत बहुत शुक्रिया

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