नफ़रतें पाले हुए हैं सभी यहाॅं दिलों में,
मगर उल्फ़तें नहीं पालता कोई।
यहाॅं दास्तां सुनाते हैं सभी मोहब्बत की,
लेकिन मोहब्बत नहीं करता किसी से कोई।
मैं कोशिशें करती हूॅं नफ़रतें ख़ाक हो जाए ,
उल्फ़तें आबाद हो जाए।
मगर यहाॅं कदम-कदम पर
सिर्फ़ यही चाहत रखने वाले मिले मुझे , कि मोहब्बत गुमनाम हो जाए।
मैंने उल्फ़तों के बीज बोए,
उन्होंने नफ़रतों के पौधे लगाए।
उल्फ़त के बीज मेरे पौधे बन गए,
लेकिन उनके नफ़रत के पौधे एक दिन खुद
नफ़रत से जल गए।
कोशिश मेरी रंग लाई,
सभी दिलों में मोहब्बतें खिल आई।
नफ़रतें मिट गई,
और यहाॅं उल्फ़तों की बौछारे छाई।
💐 रीना कुमारी प्रजापत 💐