जिसने भी किया खसारा ही हुआ यह बेकार तो होगा।
मियाँ आखिर इश्क जो ठहरा सिर पर सवार तो होगा।
चलो यूं करें कि यह कहानी फिर शुरू, वहीं से करते हैं।
तय रहा कि इस बार इश्क नहीं करना, तू यार तो होगा।
तुम यह सोच के राह बदलते हो, मैं अपनी खता पूछूंगी।
तेरी आवाज सुननी है फख्त तेरा कोई सवाल तो होगा।
चलो मोहब्बत जाने दो, मुझ पर मुकदमा ही कर दो।
तारीख दर तारीख ही सही मगर तेरा दीदार तो होगा।
उस जानिब करवट बदली, और बाकी नींद गंवा बैठे।
यह सोच तस्सली दी खुद को,तू भी यूं बेहाल तो होगा।
एक ही वक्त में इस दुनिया में वो भी है और तुम भी हो।
इस वजह से दिल को यकीं है जुड़ा कोई तार तो होगा।
छगन तुम अपनी अना के मारे हो इसीलिए बेचारे हो।
हर बार उसी को क्यों झुकना तुम्हें भी प्यार तो होगा।
-छगन सिंह जेरठी