ये जमीं, ये आसमान न भूल जाएँ,
कहीं खुद की पहचान न भूल जाएँ।
कर दो आज़ाद पिंजरे से परिंदे को,
कहीं वो अपनी उड़ान न भूल जाएँ।
मत डालो अल्फ़ाज़ उनकी जबाँ में,
कहीं वो अपनी जबान न भूल जाएँ।
उड़ने दो खुल कर, शोख हवाओं में,
कहीं ये दिल की गान न भूल जाएँ।
मिलाते रहना बच्चों को माँ-बाप से,
नए दौर में, खानदान न भूल जाएँ ।
🖊️सुभाष कुमार यादव


The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra
The Flower of Word by Vedvyas Mishra







