जैन पंचकल्याणक: मंगलमय गाथा
डॉ0 एच सी विपिन कुमार जैन "विख्यात"
गर्भ कल्याणक की पावन बेला,
अंतर में ज्योति का होता है मेला।
शुभ स्वप्नों की सुंदर छाया,
धरती पर तीर्थंकर का आगमन भाया।
जन्म कल्याणक का अद्भुत क्षण,
दिव्य शिशु का होता है अवतरण।
सुर नर मुनि करते जयकार,
ज्ञान सूर्य का होता संचार।
तप कल्याणक की निर्मल धारा,
मोह माया से किनारा।
आत्म साधना में लीन दिगंबर,
वैराग्य भाव का अनुपम अंबर।
ज्ञान कल्याणक का दिव्य प्रकाश,
केवल ज्ञान का होता विकास।
अंधकार अज्ञान का दूर हुआ,
सत्य का आलोक चहुँ ओर जुआ।
मोक्ष कल्याणक की अंतिम यात्रा,
कर्मों से मुक्ति की मंगल गाथा।
सिद्धशिला पर होता निवास,
अनंत सुख का होता प्रकाश।
पंचकल्याणक की यह महिमा अपार,
जैन धर्म का अनुपम सार।
मंगलमय यह पर्व महान,
भक्ति और श्रद्धा का बहता विधान।