मैं हूं यहाँ कुशल और आराम
पूज्यनीय माता में मेरा प्रणाम
श्री प्रिय प्यारी श्रीमती में मधुर प्यार एवं याद
बेटा और बेटी में मेरा शुभ आशीर्वाद
गावं के सभी मान्य जन काे राम राम
अहमद भाई काे भी मेरा सलाम
आज यह पत्र के माध्यम से
हे प्यारी कर रहा दाे बात तुम से
रखना तुम बच्चाें का और अपना ख्याल
करता हूं आशा ठीक-ठाक ही हाेगा हाल चाल
गावं में बह रही हाेंगी नदीयां और एक झरना
हे प्रिय बिलकुल तुम चिन्ता न करना
घर फीका-फीका सा हाेगा न रंग हाेगी
मैं जानता हूं पैसाें की बहुत तंग हाेगी
हाे गया मैं पुरुष तुम हाे गई एक नारी
सुख दुख ताे ऐसा ही है क्या करें प्यारी
घर के अन्दर हर चीज कम हाेगा
दाल चावल सब खतम हाेगा
घर का ही एक बकरा बेच कर
चाचा से पुछके माेल-ताेल कर कर
हे प्यारी बाजार में जा कर
कनक चावल जाे भी हाे ला कर
उसे बना कर बच्चाें काे खिलाना
फिर प्रिय तुम भी खाना
कर्ज के कारण डूब गए हम है
मेरी कमाई यहाँ पर भी कम है
काेई बात नहीं चिन्ता न कराे तुम
मैं अभी जिंदा हूं प्यारी न डराे तुम
बहुत ठन्ड है रात बच्चे कैसे कटे हाेंगे
बच्चाें के कपड़े भी ताे फटे हाेंगे
प्यारी फटे कपड़े ठ्याक-ठुक मिलाना
सुई में धागा डाल ट्याक-टुक सिलाना
अभी ताे काम पर जाने की कर रहा तयारी
फिर पत्र में मिलूंगा अच्छा प्रिय प्यारी
फिर पत्र में मिलूंगा अच्छा प्रिय प्यारी..........
----नेत्र प्रसाद गौतम