कविता : डर....
आज कल लोग
बातें ज्यादा करने लगे
किसी से भी कोई
बिल्कुल नहीं डरने लगे
अगर हर कोई
ऐसा ही करेंगे
भविष्य में जा कर फिर
कैसे पेट भरेंगे ?
इंसान ज्यादा अनाज कम
हो रहा... ऐसा ये मंजर है
फिल हाल तो ठीक है भविष्य में
खाएंगे क्या यही एक डर है
फिल हाल तो ठीक है भविष्य में
खाएंगे क्या यही एक डर है.......