दूर रहकर बहुत लोग गुजारा करते हैं।
हम भी उनमें से एक मन मारा करते हैं।।
उनकी बात छोड़ो उनकी फितरत ऐसी।
हम कहाँ जाए बैठे बैठे तिजारा करते हैं।।
धन दौलत से जुड़े लगते अपने बेगाने।
लाचारी आते ही सब किनारा करते हैं।।
बार-बार आ जाते दुनिया की बातों में।
जरूरत पड़ने पर लोग पुकारा करते हैं।।
अपने दामन के दाग देखते नही 'उपदेश'।
मोहब्बत के मारे मेरी ओर इशारा करते हैं।।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद