कविता : असंतोष आदमी....
आदमी कभी भी
सुख न पाए
हमेशा करता
वो हाए हाए
जब बारिश आए
आदमी भीग जाता
फिर कहता काश
ये बारिश न आता
जब सर्दी आए आदमी
सर्दी से कांपता
कुछ न करता सारा दिन
आग ही तापता
जब गर्मी आए गर्मी भी
आदमी को न भाए
तर तर पसीने से उसके
कपड़े ही भीग जाए
आदमी को सुख
शांति कभी न होए
आदमी जब तक
जिए तब तक रोए
आदमी जब तक
जिए तब तक रोए.......
netra prasad gautam

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




