नफरत करने वालों के सुर थोड़ा तान दे।
बरकत सब की हो 'उपदेश' ऐसा जहान दे।।
उम्मीदों पर दुनिया कायम शायद सभी की।
सब के होंठों पर प्यारे बोल और मुस्कान दे।।
हर कोई अलग-थलग मगर दिल एक जैसा।
मोहब्बत बख्श सब में रोटी कपड़ा मकान दे।।
- उपदेश कुमार शाक्यवार 'उपदेश'
गाजियाबाद