भावुक मन
हे पवन!आज तेरी हवा में वो बात नहीं
बह तो रही है पर इसका असर नहीं हो रहा
क्यों आज मेरी आँखों से छलकते आँसू
तुझसे सूख नहीं पा रहे
ये अश्रु दुख के होते तो
बाँट कर किसी से यह सूख जाते
पर ये तो भावुक हुए मन के हैं
जो अनजाने लोगों से मिली दुआओं से छलके हैं
इसलिए हे पवन!
सूखा देना इन नज़र आते अश्रुओं को
कोई गलती से यह न समझ ले
कि कोई दुखी है जिसका दर्द आँखों से बह रहा है
और हम उनको यह समझा नहीं पाएँगे कि
हम दुआओं का खजाना जमा करने का शौक़ रखते हैं
जब जब उसमें कोई नई दुआ जुड़ती है
तो हम भावुक हो जाते हैं..
वन्दना सूद