कापीराइट गजल
माफ करने में जो मजा है अदावत में नहीं
जो, मजा प्यार में है, वो शिकायत में नहीं
तुम निभाते रहो हम से ये दुशमनी उम्र भर
अपनेपन में जो मजा है खिलाफत में नहीं
कब मिलेंगे अपने दिल ये इन हंसीं राहों में
मिलने, में जो मजा है, वो बगावत में नहीं
इतना गुस्सा हम से तुम निभाओगे कब तक
माफ करने में जो मजा है समायत में नहीं
एक तमन्ना है दिल में तुझे जी भर के देखूं
मिलने में जो मजा है, वो हकीकत में नहीं
कभी सोच कर भी देखो यादव के संग तुम
जो दिया है तुझे हमने वो वसीयत में नहीं
सर्वाधिकार अधीन है