आज मैं बताता हूँ क्यूँ बना मैं शायर,
क्यों लिखने की आदत डाले थे,
आँसुओं में बह गए उनकी चाहत के अरमान,
जो हमने दिल में पाले थे,
खैर! उन्होंने तो कर ली किसी ओर से शादी,
हम टूटे दिल से कलम सम्भाले थे,
इसीलिए हर शब्द चीख कर सुनाता है
दास्ता मेरी मोहब्बत की,
ये वहीं आँसू हैं जो हमने कविता में डाले थे।
लेखक- रितेश गोयल 'बेसुध'