रुख़ पर उसके नक़ाब रहता है,
दिल में इधर इंक़लाब रहता है।
निगाहों-निगाहों में बात क्या हो,
चेहरे पर हाय हिजाब रहता है।
मुंतज़िर हम कोई सूरत निकले-
पसे-पर्दा एक माहताब रहता है।
पाँव पर जाती है नज़र सजदे में,
जबीं पे अपनी आदाब रहता है।
नाज़ुक से हाथ, उँगलियाँ और,
कलाई पर 'टैटू' जनाब रहता है।
हैंडबैग का लेबल 'टैम्पटेशन' -
माँगता मुझ से जवाब रहता है।
सीरत-सिफ़ात, हाव-भाव उसके,
साफ़-शफ़्फ़ाफ़ सुभाव रहता है।
फ़िज़ा महक उठती है सफ़र की,
एक आलम पुर-शबाब रहता है।
किसी रोज़ नहीं आता है अगर,
दिल महवे-इज़्तिराब रहता है।
दिल का तो हाल हर हाल वही-
फ़ितरतन ख़ाना-ख़राब रहता है।
उसको देखता-सोचता 'हमराह'-
देर तलक महवे-ख़्वाब रहता है।
----(अहसन 'हमराह')