हमने देखा है
इतिहास को, मानवता के इतिहास को,
जिसका हर एक पन्ना
युद्ध, शोषण और संघर्षों से भरा पड़ा है।
फिर,
मानवता के उत्थान,
विश्व के कल्याण हेतु,
प्रकृति ने योजना बनाई,
ईश्वर ने दया दिखाई,
तब हुआ
सत्य और अहिंसा का आदर्श प्रतीक,
महात्मा गाँधी का अवतरण।
गाँधी, जिनका जीवन,
हर वर्ग के लिए प्रेरणा का स्रोत रहा,
चाहे वह धर्म हो, जाति हो या लिंग,
सबकी एकता और कल्याण की बात कही।
पर,
सबको कहाँ ये भाता है
इतिहास ने फिर इतिहास पढ़ाया,
हिंसा का विकराल रूप दिखाया,
लक्ष्य बना सीना को, पहुँचाया आघात,
गिर गए ज़मीन पर गाँधी,
मानवता की मृत्यु हुई,
छा गया अंधकार विश्व में।
गाँधी तो बस नाम नहीं,
वे मानवता के आदर्श नायक हैं।
पर,
इतिहास कहाँ मौन बैठता है
वह भी महान नायकों को साथ लेकर चलता है।
इतिहास ने फिर इतिहास दोहराया,
हिटलर जब सत्ता में आया,
परमाणु हथियार का नाम लाया,
पड़ गई मानवता संकट में ।
फिर,
मानवता को बचाने,
विज्ञान के रहस्य को हराने,
विश्व को बतलाने
प्रतिभाओं के सरदार, ओपेनहाइमर आए।
पर कौन जानता था,
ओपेनहाइमर की महान प्रतिभा ही
मानवता पर संकट लाएगी।
उसकी महान खोज ने
उसको ही पीड़ा, चिंता में डाला।
जब
देखा उसने मानवता पर संकट,
फिर विश्व को बचाने
निकल पड़ा अपना कर्तव्य निभाने।
लगाया सब कुछ दाँव पर,
जो कमाया अखंड प्रतिभा से,
खो दिया उसने सब कुछ अपना,
फिर भी नहीं छोड़ा
अपना महान कर्तव्य निभाना।
ओपेनहाइमर की पीड़ा,
उसकी महानता की गाथा बन गई,
ओपेनहाइमर, बस नाम नहीं,
मसीहा है विज्ञान का
आदर्श है मानवता का
गाँधी और ओपेनहाइमर,
दोनों की अपनी पीड़ा थी,
जीवन के सुख-दुःख ने उन्हें गढ़ा
मानवता और नैतिकता के इतिहास में,
हैं ये दो नाम महान।
- प्रतीक झा
शोध छात्र
इलाहाबाद विश्वविद्यालय, प्रयागराज
उत्तर प्रदेश