सम्मान का शीश
शिवानी जैन एडवोकेटbyss
शीश का ताज, सिर्फ मुकुट नहीं,
ये सम्मान है, जो कोई न चुराए कभी।
न ये सोने का, न हीरों से जड़ा,
ये तो कर्मों से बनता, जो हो सच्चा।
जब कोई झुकता नहीं, अन्याय के आगे,
अपनी सच्चाई पर, वो अडिग रहे।
निर्भय होकर, सच की राह चले,
ऐसे शीश पर ही, ये ताज सजे।
ये पहचान है, उस व्यक्ति की,
जिसने जीवन में, नेक काम किए।
कोई पदवी नहीं, कोई दौलत नहीं,
बस अपने मूल्यों पर, वो खड़ा रहे सही।
ये ताज किसी राजा का नहीं,
ये तो हर उस वीर का है, जो लड़े।
जो अपने सिद्धांतों पर, अटल रहे,
उसी के शीश पर, ये ताज सजे।