भ्रष्टाचार का जाल- डॉ एच सी विपिन कुमार जैन" विख्यात "
भ्रष्टाचार का जाल फैला है,
हर तरफ दिखता है घोटाला।
लालच की आग में जल रहे हैं,
नैतिकता की बातें भूल गए।
बैठे ताकत के गद्दी पर,
लूट रहे हैं बेखौफ होकर।
कानून को देते धत्ता,
जनता को पड़ता रोना।
दबे हुए हैं सब के सब,
आँसू बहा रहे हैं रोज।"
कब मिलेगी न्याय की रोशनी,
कब तक सहेंगे ये बोझ।
समाज का पतन हो रहा है,
नैतिक मूल्य खो रहे हैं।"
सच्चाई की आवाज दब रही है,
झूठ का बाजार गुलजार है।
परंतु, उम्मीद की किरण अभी भी है,
एक दिन होगा बदलाव।
सब मिलकर करेंगे संघर्ष ऐ! विख्यात,
लाएंगे एक नया युग।"