नज़रअंदाज़ ना करना मेरे उसूलों को,
फ़ासले बना लिए तो फिर क़रीब आऊॅंगी नहीं।
भूल ना करना मुझे बेइज़्ज़त करने की,
एक बार रूठ गई तो फिर कभी मानूॅंगी नहीं।
समझना मेरी फितरत को हर क़दम
सोच समझकर उठाना,
एक बार जो नज़रों से गिरा दिया तो फिर
कभी उठाऊॅंगी नहीं।
ज़ुबां बहुत फिसलती है तुम्हारी
बंदिश में रखो इसे,
एक बार माफ़ कर दिया फिर से करूॅंगी नहीं।
✍️ रीना कुमारी प्रजापत ✍️