नज़रों ने नज़रों को देखा,
चुपके से कुछ कह दिया।
दिल की हालत, बेक़रारी वो भाँप गया,
मन का हाल भी वो सुन ही गया।
नज़रों ने समझा उस अनकहे प्यार को,
दिल ने चलाया तीर इज़हार का।
नज़रों ने नज़रों को देखा,
चुपके से फिर कुछ कह दिया।
प्यार जताने को कोई शब्द नहीं,
पर उस खामोशी में असर बहुत था।
उस नज़र ने दिल को छू लिया,
काँटों की चुभन भी बेअसर कर दिया।
वो कड़कती धूप भी ठंडी सी लगी,
सर्द हवाओं में गर्मी का एहसास दिया।
मन में बसने लगी प्रेम की रौशनी,
जैसे बज उठी कोई सुरीली बाँसुरी।
तेरी नज़रों का गहरा असर हो गया,
दिल की बेताबी दोनों तरफ बराबर हो गया।
नज़र नज़र में ही बातें बढ़ीं,
देखो, नज़र फिर नज़र से लड़ी।