मेरी खुशनसीबी – मेरे भईया
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मेरी खुशनसीबी है कि भईया हैं मेरे,
हर मुश्किल में चुपचाप साया बनकर
खड़े रहते हैं मेरे।
ना कोई शर्त, ना कोई दावा, बस
बे’हिसाब ममता और हर पल की दुआ।
वो डांट में भी अपनापन रखते हैं,
और चुप्पियों में भी हज़ारों बातें
कहते हैं।
हर रक्षाबंधन मुझे ये अहसास
दिलाता है कि दुनिया के हर रिश्ते से
ऊपर भाई का रिश्ता आता है।
और मैं… हर बार यही सोचती हूँ
-मेरी खुशनसीबी है, कि भईया हैं मेरे।
डॉ फ़ौज़िया नसीम शाद