मेरा छोटा सा घर
जिसमें हैं खुशियों का पहर।
छोटी-छोटी खिड़कियाँ,
जहाँ से झांकते हैं सपने कई।
बड़ी-बड़ी बातें नहीं,
बस हैं छोटे-छोटे किस्से कई।
दीवारों पर हैं चित्रकारी,
रंगीन, सजीली।
उनमें छुपी है कहानी,
मेरे जीवन की सजीली।
छत से टपकती हैं बूँदें,
जब बरसता है सावन।
उसमें भी है आनंद,
मेरा प्यारा सा आँगन।
मेरा छोटा सा घर,
जहाँ है प्रेम का बसेरा।
इसकी हर एक ईंट में,
बसता है मेरा सवेरा।
----Muskan Kaushik