हर बंधन तोड़ा खुले आसमान का परिंदा रहा,
मौत से जूझते हुए भी हर दम मैं जिंदा रहा।
काट के पर वो देखता है मेरी ऊँची उड़ान को,
हैरानी उसे कैसे मौत को हरा कर जिंदा रहा।
परेशानियों के भँवर की कोशिश डूबा दे मुझे,
मैं अपने हौसलों के पतवार से ही जिंदा रहा।
जीवन के इस रंगमंच में निभाये कईं किरदार,
इतनी शिद्दत से की उनका वजूद जिंदा रहा।
दर्द सीने से निकाल यूँ भर दिया किरदार में,
कहानी खत्म हो गयी पर किरदार जिंदा रहा।
🖊️सुभाष कुमार यादव