ये चार दिन ज़िंदगी के
हमें बहुत कुछ
सिखाते हैं ,
ये चार दिन ज़िंदगी के
अपनों और परायों में
फ़र्क बताते हैं ।
ये चार दिन ज़िंदगी के
हमें बहुत कुछ
सिखाते हैं ,
ये चार दिन ज़िंदगी के
दुनिया के रंग
बताते हैं ।
ये चार दिन ज़िंदगी के
हमें बहुत कुछ
सिखाते हैं ,
ये चार दिन ज़िंदगी के
कई दुःख दर्द दे जाते हैं ।
ये चार दिन ज़िंदगी के
हमें बहुत कुछ
सिखाते हैं ,
ये चार दिन ज़िंदगी के
अपनों को पराया और
परायों को अपना बनाते हैं ।
ये चार दिन ज़िंदगी के
कई दुश्मन
और
कई दोस्त बनाते हैं ।
ये चार दिन ज़िंदगी के
हमें बहुत कुछ
सिखाते हैं ,
ये चार दिन ज़िंदगी के
हमें कई खेल दिखाते हैं।
~रीना कुमारी प्रजापत
सर्वाधिकार अधीन है

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




