राम तुम्हारी दुनिया
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हे राम तुम्हारी दुनिया
बन गयी मंडी निराली है
तन भी बिकता मन भी बिकता
देखो अब वतन भी बिकता
चांदी की थाल में अब
शिशु मांस भी बिकता दुल्हा दुल्हन की सरेआम रोज होती बिकवाली
हे राम तुम्हारी दुनिया
बन गयी मंडी निराली है
मां की कोख सरोगेट कहलायी
कन्या जन्म से पूर्व मारी जाती
दहेज की वेदी पर
कन्या की बलि चढायी जातीं
हे राम तुम्हारी दुनिया
बन गई मंडी निराली है
नरेश भी बिकता
गद्दी भी बिकती
देखो अब मर्यादा भी बिकतीं
हर इक रिश्ता संस्कारों की
लाश को ढ़ोता अपनी मृत्यु को रोता रिश्ता और रिश्तेदारी सब हो चुके बिकवाली है संस्कारों की अर्थी उठायें धरती घूमती जाती
हे राम तुम्हारी दुनिया बन गई मंडी निराली है
दल भी बिकता बल भी बिकता
देखो अब चरित्र की बारी है
शासक भी बिकता
सत्ता भी बिकतीं अब संसार की बारी हैं
धर्म भी बिकता कर्म भी बिकता अब संस्कारों की बिकवाली है
हे राम तुम्हारी दुनिया
बन गई मंडी निराली है
✍️ #अर्पिता पांडेय