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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

मेहनत को हीं पुरस्कार है....

जताने मानने कमाने दिखाने की उम्र कभी नहीं होती।
जब चाहो लग जाओ दुनियां को अपना हुनर दिखाओ।
तुम्हारे तकलीफों से किसी को कोई सरोकार नहीं है।
तेरे दुखों की कोई पैरोकार नहीं है।
तू हसेगा तो दुनियां हसेगी
तेरे रोने से किसी को कोई दारोकार नहीं है।
तो हस केवल हसा दुनियां की सारी खुशियां पा।
कुछ नया कर की दुनियां तेरे पीछे भागे।
दिन रात तेरे हीं गुणगान में जागे।
जिसे तू महान समझता है वे भी तो आम आदमी हीं थें।
हिम्मत मेहनत साहस से अपनी खुद की जीवन बना।
जम के खा और कुछ बन के दिखा।
यहां उगते सुरज को नमस्कार है।
अस्त होने वाले का सहसा तिरस्कार है।
और मेहनत करने वालों को पुरस्कार है।
जो समझ गया वही तो समझदार है।
नासमझ यहां बेकार और बेज़ार है।
ये दुनियां एक बाज़ार है।
और जो दिखता है वही बिकता है।
कर कुछ नया की दुनियां बनने चाहे तेरे जैसा।
नहीं तो खाली सुनी अलसाई जिंदगी
सबसे बेकार है।
कुछ नया करने वालों की हीं संसार है...
बाकी सब बेकार है...
बाकी सब तिरस्कार है.....
मेहनत को हीं पुरस्कार है....




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (3)

+

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

Uttam rachna bahut sundar likha Anand Sir

Manju Sharma said

Uttam rachna

Mohan Kumar said

Sundar Satya vachan

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