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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra The Flower of WordThe novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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The Flower of Word by Vedvyas MishraThe Flower of Word by Vedvyas Mishra
Dastan-E-Shayara By Reena Kumari Prajapat

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The novel 'Nevla' (The Mongoose), written by Vedvyas Mishra, presents a fierce character—Mangus Mama (Uncle Mongoose)—to highlight that the root cause of crime lies in the lack of willpower to properly uphold moral, judicial, and political systems...The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

                    

पाँव चला हूँ, चार अभी तक - अशोक कुमार पचौरी


चल ही रहा हूँ,
कहने को तो,
इस चलने का,
भी क्या कहना,
पाँव चला हूँ,
चार अभी तक।

जी भी रहा हूँ,
कहने को तो,
इस जीने का,
भी क्या कहना,
सांस भी आती हैं,
रुक रूककर।

सोने में कोई,
हरज नहीं है,
ऐसी नींद का,
भी क्या कहना,
स्वप्न जगह हों,
दुःस्वप्न निरंतर।

पढ़ना लिखना,
कब का छूटा,
ऐसी पढ़ाई का,
भी क्या कहना,
काला अक्षर,
भैंस बराबर।

यह सब फिर भी,
बेहतर था।

ठीक ही हूँ मैं,
सबके जैसे,
ऐसे स्वास्थ्य का,
भी क्या कहना,
पीड़ा ही पीड़ा,
दर्द ही दर्द।


----अशोक कुमार पचौरी


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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (2)

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कमलकांत घिरी said

ये जिन्दगी है जनाब दर्द तो देगी ही... बहुत खूब आर्द्र सर👌👏🙏

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' replied

प्रणाम कांत सर, सच कहा आपने जिंदगी है दर्द तो देगी ही, बहुत बहुत आभार आपकी प्रतिक्रिया के लिए

वन्दना सूद said

समय की यही खूबी है कभी एक सा नहीं रहता तो जीवन एक सा कैसे हो सकता है 😊अंत भला तो सब भला

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' replied

Sach kaha aapne mam... Thank you aapko saadar pranam ...

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