बहुत रोया वो खेतों की मेढ़ पर बैठ कर
बिखरी हुई बरबाद फसल देख कर
कौन काम आया उसके देखा है उसने
ईश्वर को पूज कर, नेताओ को वोट देकर
था वो परेशान कुदरत के दावपेच देख कर
आया उसे शुकून ऊँचे पेड़ की टहनी देख कर
सुख गए है आंसू उसके सूखे बादल देख कर
सूखती रही फसलें उसकी सुखी आंखे देख कर
ज़हर कितना ज़हरीला है देखा है उसने पी कर
अमर सुंडियां , उड़ती सफेद मखियाँ देख कर
छोड़ कर खेत गावं वो शहर की ओर चला गया
देखा है सबने उसे मंडियों में बैठे मजदूर बन कर

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




