हम गमों को भी लिखते हैं,
हम खुशियों को भी लिखते हैं।
हम शायर है साहब, हर तरह की शायरी लिखते हैं ...
हम नफ़रतों को भी लिखते हैं,
और मोहब्बतों को भी लिखते हैं। (2)
हम शायर है साहब, हर तरह की शायरी लिखते हैं ...
हम तेरे लिए भी लिखते हैं,
हम अपने लिए भी लिखते हैं।
हम शायर है साहब, हर तरह की शायरी लिखते हैं ...
हम दुश्मनों पर भी लिखते हैं,
और दोस्तों पर भी लिखते हैं। (2)
हम शायर है साहब, हर तरह की शायरी लिखते हैं ....
हम किताबों पर लिखते हैं,
हम कलम पर लिखते हैं।
हम शायर है साहब, हर तरह की शायरी लिखते हैं ....
हम फूलों पर भी लिखते हैं,
और काॅंटों पर भी लिखते हैं। (2)
हम शायर है साहब, हर तरह की शायरी लिखते हैं ....
हम बुराई पर लिखते हैं,
हम अच्छाई पर लिखते हैं।
हम शायर है साहब, हर तरह की शायरी लिखते हैं .....
हम अपनों पर भी लिखते हैं,
और परायों पर भी लिखते हैं। (2)
हम शायर है साहब, हर तरह की शायरी लिखते हैं ....
हम कविताओं को लिखते हैं,
हम कहानियों को लिखते हैं।
हम शायर है साहब, हर तरह की शायरी लिखते हैं....
हम शायर पर भी लिखते हैं,
और शायरी पर भी लिखते हैं। (2)
हम शायर है साहब, हर तरह की शायरी लिखते हैं....
"रीना कुमारी प्रजापत"