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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

कविता - हे प्रिय भूल जाओ....

(कविता ) (हे प्रिये भूल जाअाे)

हे प्रिये मुझे अब भूल जाअाे तुम
राेज गुलाब का फूल न दिखाअाे तुम (

ऐसी ये खराब खाेपडी है
रहने काे बगैर छत की झाेपडी है

उसी में मैं जैसे- तैसे रहता हूं
ऐसी दु:ख: किसीकाे न हाे राेज यही कहता हूं

मिले थे कभी ये बात काे दिमाग से भगाअाे तुम
हे प्रिये मुझे अब भूल जाअाे तुम

जब अासमां से गरज कर बारिस अाता है
शिर पावं अाैर बदन भीग जाता है

उसके वाद मुझे ठन्ड भी लगता है
थर थर थर सारा शरीर कांपता है

मेरे पास क्याें अाती हाे न अाअाे तुम
हे प्रिये मुझे अब भूल जाअाे तुम

कई कई दिन भूखा न पीता न खाता हूं
कभी वस अड्डे कभी रेलवे स्टेसन जाता हूं

शाम काे वहीं ठन्ड फर्स पर साेता हूं
साेना क्या था रात भर मैं राेता हूं

मेरे से प्यार न जताअाे तुम
हे प्रिये मुझे अब भूल जाअाे तुम

घर में न काेई शब्जी है न भिन्डी है
न धनियां मिर्च न टिन्डी है

क्या खाअाेगी न राेटी न दाल है
मेरी जां बहुत बुरा हाल है

मुझसे नहीं किसी अाैर से दिल लगाअाे तुम
हे प्रिये मुझे अब भूल जाअाे तुम

अगर भूल से मेरी पत्नी बनाेगी
गर- गहने क्या पहनाेगी

मेरे पास न साेना चांदी पीतल है
मन के अन्दर नताे थाेडा शीतल है

अपना रास्ता खुद अभी से बनाअाे तुम
हे प्रिये मुझे अब भूल जाअाे तुम

अाेंठ में लिपिस्टिक पावं में सेन्डल कैसे लगाअाेगी
दु:ख: के सिवा मेरे से कुछ भी न तुम पाअाेगी

कपडे भी नहीं न साडी ब्लाेज मेक्सी है
कैसे घूमाेगी फिराेगी न गाडी न टेक्सी है

मैं बहुत दु: खी: हूं जरा तरस खाअाे तुम
हे प्रिये मुझे अब भूल जाअाे तुम
हे प्रिये मुझे अब भूल जाअाे तुम.......




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (3)

+

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

Bahut sundar rachna

नेत्र प्रसाद गौतम replied

नमस्कार जी प्रशंसा के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।

Keshav Atri said

Bahut hi umda rachna...m to fan ho gya aapki kalam ka.

नेत्र प्रसाद गौतम replied

नमस्कार केशव अत्रि जी मेरी इस रचना को आप ने इतना महत्वपूर्ण के साथ प्रशंसा किया इस के लिए मैं आपका बहुत बहुत आभारी हूं धन्यवाद।

Komal Raju said

😂😂 bahut khub

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