ख़ामोश निगाहों में दृश्य संवर रहा
ख़यालो की एक दुनियां बसा रहा
ख़ामोश निगाहों में दृश्य संवर रहा
चिंतन में चिंता रूह को तड़पा रहा
बैचेन दीवारें मायूसी के रंग भर रहा
ख़ामोश निगाहों में दृश्य संवर रहा
मिट जाएंगी ए हस्ती सत्य बता रहा
अहम और गर्व को शिक्षा ज्ञान दे रहा
ख़ामोश निगाहों में दृश्य संवर रहा
संजोग हजारों मौक़ा निर्देश कर रहा
जाता वक्त वापिस न आएँ कह रहा
ख़ामोश निगाहों में दृश्य संवर रहा
सिख देकर प्रतिमा का दर्शन दे रहा
शांती की गुज़ारिश है समझा वो रहा
ख़ामोश निगाहों में दृश्य संवर रहा