मन का नवीन प्रभात
डॉ.एच सी विपिन कुमार जैन "विख्यात"
सुबह मन के एक नवीन प्रभात जैसी है,
बीते विचारों की धुंध अब छंटने लगी है।
नई सोच के अंकुर फूटने लगते हैं मन में,
एक नई दिशा मिलती है जीवन के वन में।
ये संकल्पों को फिर से जगाने का समय,
अपनी कमजोरियों से लड़ने का है ये विस्मय।
शांत मन से करो नए दिन की शुरुआत,
सफलता की राह भी दिखेगी अब साक्षात।
ये नकारात्मकता को दूर भगाती है,
आशा और विश्वास का दीप जलाती है।
सुबह का ये उजाला भर दे मन में उल्लास,
जीवन की हर यात्रा बनेगी अब सुहास।