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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

" माँ तू अब भी साथ है "

(माँ की स्मृति में समर्पित)

छाँव थी तू तपती धूप में,
हर साँझ सजी तेरे रूप में।
तेरे बिना सूनी हर बात,
तेरे बिना अधूरा दिन-रात।

आँचल तेरा जैसे आकाश,
हर डर, हर दुख का था नाश।
तेरी ममता की वह गर्माहट,
अब भी महकती हर इक आहट।

तेरी थपकी, तेरी लोरी,
अब भी गूँजें पलकों की कोरी।
आँखें ढूँढें तेरा चेहरा,
मन पुकारे – “माँ! बस एक दफ़ा।”

तेरे बिना ये घर तो है,
पर घर जैसा कुछ भी नहीं।
तेरे नाम से हर कोना बोले,
पर तू ही अब कहीं नहीं।

फूल-सी कोमल, दीप-सी ज्योति,
तेरे संग हर बात थी स्वर्ण-रेख।
अब बस यादें हैं, और तन्हाई,
फिर भी तू है – मेरी परछाईं।

माँ, तू नहीं फिर भी साथ है,
तेरी सीखों में जीवन का पाठ है।
जब-जब हारूँ, तुझे पुकारूँ,
माँ! तू आकर मुझे सँवारें




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (6)

+

Ankush Gupta said

बहुत खूबसूरत ममतामयी रचना

सुभाष कुमार यादव said

माँ की ममता, उनके महत्व को रेखांकित करती मार्मिक रचना।👌👌🙏

शिवचरण दास said

बहुत खूब. .. बहुत ममता भरी रचना

प्रो. स्मिता शंकर said

धन्यवाद! अशोक गुप्ता जी, सुभाष जी और शिवचरण दास जी, इतने खूबसुरतु कॉमेंट के लिए। ❤

मनोज कुमार सोनवानी "समदिल" said

जब जब हारूं तूझे पुकारूं। बहुत सुंदर रचना, मर्मस्पर्शी भावपूर्ण कविता। आंचल में जिसके सारा जहां है, वो मां है, मां है और सिर्फ मां है। मां की स्मृतियों को आपने सुन्दर भावुक शब्दों से सजाया है। सचमुच मां के बिना तो घर आंगन सूना हो जाता है। हंसी खुशी त्योहार उत्सव सब अधूरा अधूरा लगता है।

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

Matratwa ke bhav ko is bhav bhari rachna ne jo bhavnatmak chamak aur khushbu di hai uske liye aapki tareef m shabd kam hain, aap tak pranam pahuche itni sundar rachna ke liye aapki badhyi ho adarneeya

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