सफाई देने का वक्त नही फिर भी।
खोट छुपा कर रखी नही फिर भी।।
मैं परेशान नही दुनिया क्यों लगती।
उनकी सूरत देख पाई नही फिर भी।।
मंज़िल धूमिल सी बातो की दास्ताँ।
माँ बाप की रहनुमाई नही फिर भी।।
खुश हूँ 'उपदेश' अपनी हालात पर।
मेरी हौसलाअफजाई नही फिर भी।।
- उपदेश कुमार शाक्य वार 'उपदेश'
गाजियाबाद