तारीफ़ किए अपने कर्मों की उम्मीद ना रक्खो।
बस मेहनत करने की भूख और जज़्बा रख्खो।
क्योंकि मेहनत किसी चीज़ की मुरीद नहीं होती है।
मेहनत करने वालों को एक दिन तारीफ़ ज़रूर मिलती है।
जीवन में तरक्की की बुनियाद यहीं रक्खी
मेहनत का फ़ल जो ना चखे कोई तो बिना इसके जीवन में कोई स्वाद नहीं चक्खी।
ये दुनियां तारीफों की पूल है।
ईनाम पारितोषिक बीखरें पड़ें है यहां वहा
बस इन्हें समेटने की कला आनी चाहिए।
बस कुछ नया करने खोजने की कवायद शुरू होनी चाहिए।
कौन कहता है कि दुनियां में बहुत कुछ असंभव है।
पर असंभव संभव नहीं होता तो तो यह असंभव संभव शब्द नहीं होता।
गर हो मज़बूत ईरादें अटूट हौसलें तो ऊंची उड़ानों को कोई ताक़त रोक नहीं सकतीं।
और तब तक हीं रोक पायेगा कोई खुद को तुम्हारी तारीफ़ करने से जब तक तुम्हारी मजबूत इरादें सबकुछ हासिल कर नहीं लेती ।
सो ध्यान इधर उधर ना भटकाओ
जीवन की सही राह पाओ।
मंज़िल फतह कर लो
फिर ख़ुद ब ख़ुद सबकुछ हासिल हो जायेगी।
फिर देखना झख मारके दुनियां तेरे पीछे भागेगी।
फिर देखना झख मार के दुनियां तेरे पीछे आयेगी...
फिर देखना झख मार के दुनियां तेरे पीछे आयेगी....