ॐ रवि-रुद्र-पितामह-विष्णु-नुतं, हरि-चन्दन-कुंकुम-पंक-युतम्!
मुनि-वृन्द-गजेन्द्र-समान-युतं,
तब नौमि शारदा पाद युतम ll
माँ भगवती शारदा कन्या देवी दरबार सुदामापुर में आज कालिया नाग मर्दन की कथा -
कालिया नाग पर महाराज कृष्ण चैतन्य जी ने पारंपरिक कथाओं के साथ-साथ प्रमाणिकता भी सिद्ध की है - पारंपरिक कथाओं से हटकर देखा जाए
हमारे अंदर कालिया नाग के सात मुखो के समान काम ,क्रोध ,लोभ, मोह, मद ,मत्सर एवं इर्ष्या जैसे दुर्गन होते हैं हमे सातो का दमन करना चाहिए इसके साथ ही सत दिव्य गुणो (सुख, शांति, प्रेम, आनंद, ज्ञान, शक्ति व पवित्रता) को एक-एक कर विजय कर ग्रहण करना चाहिए साथ ही अगर योग योगेश्वर श्री कृष्ण की कालिया नाग मर्दन लीला को योगिक नजरिए से देखा जाए तो हमारी कुण्डलिनी शक्ति मे मूल रूप से चक्र केवल सात हैं - मूलाधार, स्वाधिष्ठान, मणिपूरक, अनाहत, विशुद्धि, आज्ञा और सहस्रार।
ये कालिया के सात मुख का प्रतीक है जिनको योगी को जीत कर अपनी चेतना सहस्त्रार मे स्थिर करनी पड़ती है ,तभी परमात्मा श्रीकृष्ण का साक्षातकार होता हैl
साथ ही योग के आठ अंग है, यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान और समाधि सप्त अंगो को समाहित कर साधक समाधिस्थ हो स्वयं ब्रह्म स्वरूप हो जाता है l कालिया नाग मर्दन भगवान माँ भगवती शारदा कन्या देवी कल्याण करे l
आचार्य कृष्ण चैतन्य जी महाराज
[श्रद्धालु मंडली]