तू झटके से कह ले,
तू चाहे दुर्बलता कह ले,
दिल ने ज्यों ही मजबूर किया,
मैं तुमसे प्यार करता हूँ।
यह प्यार का तेल नहीं है,
दो चार घड़ियों का खेल नहीं,
यह तो कृपा की धारा है,
कोई गुड़ियों का खेल नहीं।
तू इच्छा नादानी कह ले,
तू फिर भी सामान कह ले,
मैंने जो भी रेखा खींची,
तेरी तस्वीर बनी।
मैं चातक हूँ तू बादल है,
मैं लोचन हूँ तू काजल है,
मैं आँसुओं तू आँचल है,
मैं प्यासा तू गंगाजल है।
तू आज़ाद दीवाना कह ले,
या अल्हड़ मस्ताना कह ले,
जिसने मेरा परिचय पूछा,
मैं तेरा नाम बताऊंगा।
सारा तारामंडल घूम गया,
प्याले प्याले को धोखा दिया गया,
पर जब तूने घुंघट खोला,
मैं बिना पिये ही कूद गया।
तू पागलपन कह ले,
तू चाहे तो पूजा कह ले,
मंदिर के जब भी द्वार खुले,
मैं तेरी अलख जगा बैठा।
मैं प्यासा घट पनघट का हूँ,
जीवन भर दर दर भटका हूँ,
कुछ की बाहों में अटका हूँ,
कुछ की आँखों में खटका हूँ।
तू चाहे पछतावा कह ले,
या मन का बहलावा कह ले,
दुनिया ने जो भी दर्द दिया,
मैं तेरा गीत बना बैठा।
मैं अब तक जान न पाया हूँ,
क्यों तुझसे मिलने आया हूँ,
तू मेरे दिल की धड़कन में,
मैं तेरे दर्पण की छाया हूँ।
तू चाहे तो सपना कह ले,
या अनहोनी घटना कह ले,
मैं जिस पथ पर भी चल निकला,
तेरे ही दर पर जा बैठा।
मैं उर की पीड़ा सह न सकूँ,
कुछ कहना चाहूँ,
कह न सकूँ,
ज्वाला बनकर भी रह न सकूँ,
आँसू बनकर भी बह न सकूँ।
तू चाहे तो रोगी कह ले,
या मतवाला जोगी कह ले,
मैं तुझे याद करते-करते,
अपना भी होश भुला बैठा।
-आशुतोष राणा