सिलसिले वर्षों से
चल रहे हैं।
फर्जीवाड़ा ,
अंकी, इंकी ,डंकीलाल कर रहे हैं।
अपने फर्ज से गद्दारी,
बच्चों के भविष्य से खिलवाड़।
फर्जी प्रमाण पत्रों को,
फर्जी हस्ताक्षर से।
इस शहर से उस शहर,
इस कार्यालय से उस कार्यालय तक।
नगद नारायण लेकर,
एक टांग से बांटना।
बेईमानी भी,
ईमानदारी से करते हैं।
शाम होते ही,
अपना अपना हिस्सा,
दफ्तर में,
लेने आते हैं।