लाखों पाबंदी लगाई गई हम पर
फिर भी हमने घर को संभाला है
खुद की खुशियों का गला घोंटकर
अपने परिवार की खुशियों को सवरा है
अपने घर के नींव बने हम और हमको ही धुत्कारा है
बेड़ियां लगा दी हम महिलाओं पर
अबला नारी बना डाला है
अब नहीं रहे हम अबला
महिला अभियान चलाया है
घर का चूल्हा-चौंका करके हम
अपनी बेटियों को पढ़ाया है
अब नहीं रहेगी अनपढ़ देश की बेटियां
एक अच्छी शिक्षा हमने भी दिलाया है
अब हम भी रुकेंगे नहीं, झुकेंगे नहीं
हमने भी कुछ कर दिखाने की ठाना है
बेटियां पड़ेगी और हमेशा आगे बढ़ेगी...।।
— सुप्रिया साहू