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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

उम्र भर जिसे पाने की

उम्र भर जिसे पाने की आरज़ू करते रहे,
आज वो हमारे सबसे बड़े दुश्मन निकले।
और उम्र भर जिसे ग़ैर समझा हमने,
आज वो ही हमारे अपने निकले।

उम्र भर सोचती रही कि ये करूंगी मैं,वो करूंगी मैं,
पर आज उम्र का आख़िरी पड़ाव है और किया
नहीं कुछ भी।
उम्र भर ख़्वाहिशें रखी कई,
पर एक ख़्वाहिश को भी पूरा किया नहीं कभी।

उम्र भर कोशिशें तमाम की अपने सपनों को
पूरा करने की,
पर कोशिशें कभी कामयाब हुई नहीं।
उम्र भर इंतज़ार करती रही कि कभी तो
मंज़िल तक पहुॅंचुगी,
पर मंज़िल तक कभी पहुॅंची नहीं।
~✍️ रीना कुमारी प्रजापत




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (3)

+

Lekhram Yadav said

सुप्रभात मेरी प्यारी बहना। दुश्मन ही बनाती रहोगी तो हमदर्द कब बनाओगी मंजिल पर पहुंच कर महफिल कब सजावटी कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती देख लेना जरूर एक दिन मंजिल पे पहुंच जाओगी

रीना कुमारी प्रजापत replied

😀Ji thanku so much प्रणाम 🙏

रीना कुमारी प्रजापत replied

Waah kya khub sher kaha hai.. I like it

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

Manjil to bas do kadam door hai thoda sa aur chaliye fir dekhiye mam kitni sundar aji dhaji manjil aapka intzaar kar rahi hai....pranam Naman vandan

रीना कुमारी प्रजापत replied

Thanku so much

Vadigi.aruna said

Very nice mam, उम्र के साथ कोशिश भी जारी रखिए,किसी न किसी दिन आपका इंतजार सच निकलेगी

रीना कुमारी प्रजापत replied

Thanks ji

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