Newहैशटैग ज़िन्दगी पुस्तक के बारे में updates यहाँ से जानें।

Newसभी पाठकों एवं रचनाकारों से विनम्र निवेदन है कि बागी बानी यूट्यूब चैनल को सब्सक्राइब करते हुए
उनके बेबाक एवं शानदार गानों को अवश्य सुनें - आपको पसंद आएं तो लाइक,शेयर एवं कमेंट करें Channel Link यहाँ है

Show your love with any amount — Keep Likhantu.com free, ad-free, and community-driven.

Show your love with any amount — Keep Likhantu.com free, ad-free, and community-driven.



The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra The Flower of WordThe novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

Newहैशटैग ज़िन्दगी पुस्तक के बारे में updates यहाँ से जानें।

Newसभी पाठकों एवं रचनाकारों से विनम्र निवेदन है कि बागी बानी यूट्यूब चैनल को सब्सक्राइब करते हुए
उनके बेबाक एवं शानदार गानों को अवश्य सुनें - आपको पसंद आएं तो लाइक,शेयर एवं कमेंट करें Channel Link यहाँ है

The Flower of Word by Vedvyas MishraThe Flower of Word by Vedvyas Mishra
Dastan-E-Shayara By Reena Kumari Prajapat

Dastan-E-Shayara By Reena Kumari Prajapat

The novel 'Nevla' (The Mongoose), written by Vedvyas Mishra, presents a fierce character—Mangus Mama (Uncle Mongoose)—to highlight that the root cause of crime lies in the lack of willpower to properly uphold moral, judicial, and political systems...The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

                    

महाकुम्भ की गाथा (एक विचारधारा)

महाकुम्भ की गाथा (एक विचारधारा)
सुनी सन्तों के मुख से जब महाकुम्भ की गाथा
मन में तरंगें उठने लगीं कि संगम में डुबकी लगाने अब हमें भी है जाना
जाकर अर्ज़ी लगाई कन्हैया के दरबार में
देकर मंज़ूरी प्रभु हमें भी पहुँचा दो प्रयागराज धाम में..

महाकुम्भ की बेला अति सुन्दर
रोचक,काव्यात्मक और भक्ति रस से पूर्ण है
उपमाओं से सुशोभित ज्ञान है
साधु-सन्तों से जगमगाता प्रकाश है
भजन-कीर्तन की ध्वनि से गूँजता हर स्थान है
श्रद्धा से ओत-प्रोत क्या? यही महाकुम्भ का बाख्यान है ..

रात्रि के ढाई बजे पहुँचे डुबकी लगाने को
अविश्वसनीय दृश्य जो अदभुत और अलौकिक है
आसमाँ में सजी तारों की बारात है
संगम में आते जाते डुबकी लगाते देव स्वरूप तारे हैं
जिनके प्रकाश से रात्रि ने भी दिन सा उजाला बिखेरा है
यहीं हैं सिद्ध योगी जिनके दर्शन से ही जीवन का कल्याण है..

इसी क्षण कानों में पड़ी एक आवाज़ है
उठ जाग भटके मन ब्रह्म मुहूर्त की बेला है
करा लाया तुझे कुम्भ के दर्शन अब वापिस आ जा
सब में मैं हूँ और मुझ में ही है सब
मेरे सिमरन को ही कुम्भ जान
मेरी भक्ति को ही संगम मान
फिर तू लगा डुबकी और कर जा यह भव सागर पार ..
वन्दना सूद


यह रचना, रचनाकार के
सर्वाधिकार अधीन है


समीक्षा छोड़ने के लिए कृपया पहले रजिस्टर या लॉगिन करें

रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (3)

+

श्रेयसी said

वाह बहुत अच्छी विचारधारा 🙏🙏

वन्दना सूद replied

शुक्रिया 🙏😊

उपदेश कुमार शाक्यावार said

Wah..बहुत सुन्दर 🙏🙏

वन्दना सूद replied

🙏🙏😊

कमलकांत घिरी said

Waah waah Bahut hi behatrin rachna mam 👌 aisa laga jaise maine mahakumbh ke pawan normal jal me snan kar liya ho, bahut hi sundar rachna 👌🙌🙏 prnam aapko 🙏

वन्दना सूद replied

फिर तो अब जाने का नहीं सोच रहे 😊प्रणाम आपको भी

कविताएं - शायरी - ग़ज़ल श्रेणी में अन्य रचनाऐं




लिखन्तु डॉट कॉम देगा आपको और आपकी रचनाओं को एक नया मुकाम - आप कविता, ग़ज़ल, शायरी, श्लोक, संस्कृत गीत, वास्तविक कहानियां, काल्पनिक कहानियां, कॉमिक्स, हाइकू कविता इत्यादि को हिंदी, संस्कृत, बांग्ला, उर्दू, इंग्लिश, सिंधी या अन्य किसी भाषा में भी likhantuofficial@gmail.com पर भेज सकते हैं।


लिखते रहिये, पढ़ते रहिये - लिखन्तु डॉट कॉम


LIKHANTU DOT COM © 2017 - 2025 लिखन्तु डॉट कॉम
Designed, Developed, Maintained & Powered By HTTPS://LETSWRITE.IN
Verified by:
Verified by Scam Adviser
   
Support Our Investors ABOUT US Feedback & Business रचना भेजें रजिस्टर लॉगिन