बन के उड़ जाओ आसमानों में पतंगों की तरह ।
हल्की फुल्की उमंगों की तरह।
ना दुःख दर्द ना कोई चिंता फिकर।
सब भूल कर बस हल्के मन से
सिफ अपनी मस्ती अपनी धुन में।
हां पर इतना याद रखना
मांझा ज़रा ख़ास रखना
क्योंकि धरती हो या आकाश
यहां हर जगह काटने वाले मिलेंगे
जो ख़ुद उड़ नहीं सकतें तो क्या
सबकी जड़ें तो काटेंगे हीं काटेंगे।
तुम्हारे हिस्सों की खुशियों को भी
कम कर देंगें छाटेंगे हीं छटेंगे।
तुम्हारी ऊंची उड़ानों को वो देखना भी ना चाहेंगे।
पर तुम अपनी इक्षा शक्ति बनाए रखना ।
हौसलों को जमाए रखना ।
क्षितिज के पार है जाना तुम्हें
खुद को ये एहसास दिलाये रखना।
याद रखना उड़ने की ज़द पंखों में नहीं
हौसलों में होती है।
जिसकी जितनी चाह उसकी उतनी राह।
हार मानने वालों की दुनियां बहुत छोटी होती है।
जो लड़ने की ज़िद्द रखतें हैं उनकी हीं जिंदगी तमाम होती है।
इसलिए आनंद ये कहता है कि..
अपनी जिजीविषा को बढ़ाओ।
जिंदगी को लायक बनाओ।
वरना नालायक बनाने के लिए
दुनियां तो है ना..
जो तुम्हें उफ तक का मौका न देगी
और हर लेगी तुम्हारी सब सुख चैना।
पर सबकुछ भूल कर तुम्हारा एक हीं काम है..
बस दुनियां की अकाशों में सिर्फ़
उड़ते रहना बस उड़ते रहना
बस उड़ते रहना सिर्फ़ उड़ते रहना...