गंजा बंदर चश्मा लगाकर, उछल रहा था।
समाचार पत्र में,अपनी खबर पढ़ रहा था।
यकायक निगाह पड़ी घोटालों पर,
नंबर बढ़ गया चश्मा पर।
भागा भागा फिर रहा है,
कभी इधर देख रहा है, कभी उधर देख रहा है।
बड़ी बेबसी से पुकार रहा है, अपने सरदार को।
सरदार अहंकार में आंखें मूंद सो रहा है।
इतने में ही आदेश हो गए,
भ्रष्टाचारी दो से चार हो गए।
बढ़ती जा रही है, पंक्ति भ्रष्टाचारियों की।
अब इनको गधे पर बैठाओ, मुंह काला कर।
पूरे शहर में घुमाओ।

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




