खुशबू तेरी आंचल की आज़ भी याद है मुझे।
क्या मेरी छुवन भी याद है तुझे ?
पेड़ों की दरख्तों पर
पहाड़ों की शिलाओं पर
आज भी तेरा नाम है
क्या तेरे दिल में आज़ भी मेरा नाम है ?
तुम मिले मिल कर भी ना मिले
मोहब्बत के आसमानों पर थें जो
अरमां दिल के खिले
नीले अंबर की छांव में जो थे कभी हम मिले।
तमाम कोशिशें करी फिरभी ना हम एक हो सके।
शायद मैं तेरे मुकद्दर में नहीं
या तू तेरी तक़दीर में नहीं।
ख़ैर कोई बात नहीं....
ना हीं कोई सवालात कोई इल्ज़ाम नहीं
जो खाली रह गया प्याला मेरा
ना खुल सका किस्मत का ताला मेरा
पर एक होना हीं सबकुछ नहीं है
जो होता है सबके लिए सही है।
तुम आशुओं को यूं ना बहाना ।
क्या समझेगा ये ज़ालिम ज़माना ।
बस दिल की बातें हैं इन्हें दिल में हीं रहने दो।
ना निकालो कभी बाहर मैं मुझे ख़ुद में
पिघलने दो।
मैं बैठा हूं दिल में हीं तेरे मैं सबकुछ समझता हूं।
मैं फिरभी तुमपे मरता हूं।
मैं तुमसे हीं मोहब्बत करता हूं।
तमाम कोशिशों के बाद भी तुझे न मैं भूला सका।
दिल से दूर तुझे कर ना सका..
किया था शिद्दत से तुझसे मोहब्बत ऐ मेरी हमदम हम नशीं...
इसलिए मैं कभी तुझे भूला ना सका....
इसलिए मैने कभी तुझे भूला ना सका....