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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

ए दोस्त तू बदल गया

बचपन में साथ-साथ खेलते, सारी सुविधा दुविधा मिलकर झेलते,
सोचा नहीं था पर सूरज ढल गया दोस्त तू सच में बदल गया

यह वही दोस्त है जो बचपन में साथ बैठकर खाता था ,
आज अपनी खरी कमाई का जोर मुझे दिखता है ,

ए दोस्त आज मेरे लिए तू जितनी बातें कर सकता है कर,
यार को भी भूल गया भगवान से तो डर,

आज मेरा मेहनत का दौर चल रहा है ,
और तेरी मेरे लिए कही गई बातें,
क्यों याद नहीं आती बचपन की
क्यों उसे भूल जाते हैं


यह दिन तेरे लिए तेरी कामयाबी के लिए है ,
तूने चंद पैसों के लिए क्रूर घाव दिए हैं,

वक्त रहते संभल जा इस मोह माया से बदल जा,
यह काम का बहाना छोड़ कर घर आजा गाड़ी मोड़कर,

हां आज पैसा तेरा साथ दे रहा है लेकिन मुझे अभी पढ़ना है,
छोड़ दहलीज झूठ की एक दिन ऊंची राहों पर बढ़ना,

----अशोक सुथार




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (5)

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ताज मोहम्मद said

अकसर दो दोस्तों के रिश्तों में ये दरार आ जाती है। दोस्ती को आज का आईना दिखाती बहुत ही सुंदर रचना।

रीना कुमारी प्रजापत said

बहुत सुन्दर रचना

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

Uttam rachna bahut khoob likha apne purane Mitra ki yaad aagyi usase bhi m yahi kahna chahta hu jo aapne apni rachna m kaha hai

Komal Raju said

Bahut sundar prastuti

वन्दना सूद said

बहुत सुंदर रचना 👌👌

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