रतिहा पहागे अऊ, निंदिया सिरागे
मधुरस कस मीठ बोली, बोलय चिरइया
कोइली के कुहू कुहू, पपिहा के पीहू पीहू
लागत हे, सुन सुन के,झुमरत अमरइया
चिरइ के चांव चांव,कंउआ के कांव कांव
बिदा होके जावत हे कारी अंधियारी
पूरब के गांव ले, गाड़ी मं बइठे बइठे
धीरे-धीरे आवत हे,चमकत उजियारी
परबत के आड़ ले,झांकत हे बाल सूरूज
उछल कूद नाचत हें, हिरनी के छौना
पांखी छरिया के,नाचथे मंजूर मन
गुटुर गुटुर गावत हें,पड़की परेवना
ए डारी ले वो डारी,डंहकत अउ नाचत
सुरूज के लाली किरन, अंगना पधारे
चहल-पहल खेत खार, अंगना गली दुवार
अपन अपन काम काज अपने संवारे
करके बिहाव जब,दुलरू जवान ह
घर में ले आथे,नवा दुल्हनिया
आनंद भर जाथे, जइसन घर घर में
वइसनहे होथे मोर, गांव के बिहिनिया
वइसनहे होथे मोर, गांव के बिहिनिया।
सर्वाधिकार अधीन है