कविता:मदारी आया
दिनांक:31/07/2025
कान्हा मधुवन में बनकर मदारी आया है।
कान्हा ने राधे संग सबको नाच नचाया है।
मधुवन में रास रचाया है दिल तड़फाया है।
सुध बुध खो गई गोपियां खेल दिखाया है।
पैरों की पायल ने मधुवन में शोर मचाया है।
कान्हा बांसुरी बजाता मधुवन में आया है।
प्रेम प्रीत का पाठ दुनिया को सिखाया है।
अपनों के लिए लडना कान्हा ने बताया है।
दूध दही को समझो कान्हा ने समझाया है।
अपनी ताकत को पहचानो हमे बताया है।
मथुरा नगरी में कान्हा ने कंस को डराया है।
गोकुल का ग्वाला मदारी बनकर आया है।
गाय चराता ग्वालों संग जंगल में आया है।
गोवर्धन पर्वत को एक उंगली पर उठाया है।
कान्हा ने काली दह से कालिया भगाया है।
कलिया नाग के फन पर नृत्य दिखाया है।
कलयुग में भी कान्हा ने सबको बताया है।
धर्म की रक्षा करना सबको समझाया है।
सत्यवीर वैष्णव बारां राजस्थान
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