कापीराइट गीत
जब उनसे मिली नजर हम खो गए इस कदर
कितने थे अन्जान हम और कितने बेखबर
कनखियों से देख कर हम को वो घबरा गई
चेहरा छुपा कर हाथ में ऐसे वो शरमा गई
देखते ही देखते, बस, लङ गई उनसे नजर
कितने थे अन्जान .................
यूं हो गया बेचैन दिल प्यार करने के लिए
हो गया बेताब दिल उस पे मरने के लिए
दिल ने चुपके से कहा, तू इसी से प्यार कर
कितने थे अन्जान...................
चल पङे थे साथ हम हाथ डाले हाथ में
हो गए थे एक हम बस एक ही मुलाकात में
थम गया सारा जहां, थम गई थी ये डगर
कितने थे अन्जान..................
दिल को समझाया बहुत ये बताने के लिए
यूं प्यार करना जुर्म है इस जमाने के लिए
फूंक के रखना कदम फिर किसी से प्यार कर
कितने थे अन्जान...................
- लेखराम यादव
( मौलिक रचना )
सर्वाधिकार अधीन है