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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

जब उनसे मिली नजर

कापीराइट गीत

जब उनसे मिली नजर हम खो गए इस कदर
कितने थे अन्जान हम और कितने बेखबर

कनखियों से देख कर हम को वो घबरा गई
चेहरा छुपा कर हाथ में ऐसे वो शरमा गई
देखते ही देखते, बस, लङ गई उनसे नजर
कितने थे अन्जान .................

यूं हो गया बेचैन दिल प्यार करने के लिए

हो गया बेताब दिल उस पे मरने के लिए
दिल ने चुपके से कहा, तू इसी से प्यार कर
कितने थे अन्जान...................

चल पङे थे साथ हम हाथ डाले हाथ में
हो गए थे एक हम बस एक ही मुलाकात में
थम गया सारा जहां, थम गई थी ये डगर
कितने थे अन्जान..................

दिल को समझाया बहुत ये बताने के लिए
यूं प्यार करना जुर्म है इस जमाने के लिए
फूंक के रखना कदम फिर किसी से प्यार कर
कितने थे अन्जान...................

- लेखराम यादव
( मौलिक रचना )


यह रचना, रचनाकार के
सर्वाधिकार अधीन है


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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (2)

+

ताज मोहम्मद said

वाह भाई बहुत खूब।

Lekhram Yadav replied

Welcome and good morning dear Taj bhai

रीना कुमारी प्रजापत said

Bahut sundar

Lekhram Yadav replied

धन्यवाद सहित सुप्रभात मेरी प्यारी बहना।

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