भरते हुए जख्मों को फिर से कुरेद जायेगा
और यादों का नमक उनपर उड़ेल जायेगा
बड़ी मुश्किल से दिल के सब टुकड़े जुड़े हैं
ठोकर लगाके आह की सारे बिखेर जायेगा
नाम आते ही जुबां पर बढ़ गई हैं बैचैनियां
वो नजर से वफ़ा की बखिया उधेड़ जायेगा
उसको रहा है अहम बस अपने रंग रूप का
जानता नहीं वक्त का आइना तरेड जायेगा
हम भी इंसा हैं महज कोई फ़रिश्ते तो नहीं
चाँद तारे आपके जो पैरों में समेट जायेगा
मुमकिन नहीं है हम पीकर मदहोश ना हों
दास अपना यार एक घर पे सहेज जायेगा
क्या कहें कभी अपना था गैर है आजकल
वफ़ा का जुर्म हमपे वो सारा लपेट जायेगा

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




